सादरी नागपुरी भाषा में कहानी

 सच्चा प्रेमी मन प्यार में सोब के कुर्बान काइर देवैन ना।

ऐक बेइर केर बात हीके एक ठु छोड़ा रहे ऊ ऐक ठु छोड़ी से बहुत प्यार करत रहे । लेकिन ऊ आँधी रहे, ऊ छोड़ा ऊ छोड़ी केर ढेईर ख्याल रखत रहे और उके हमेशा खुश रखेक केर कोशिश करत रहे।

ऊ छोड़ा जब भी ऊ छाड़ी से मिलत रहे तो ऊ छोड़ी ऊ छोड़ा से हमेशा कहत रहे अगर मोर आईख होतक तो मोय तोके देईख पातो और पुरा जिन्दगी रहेक लगीन तोर से शादी काईर लेतो।


कुछ दिन बादे ऊ छोड़ी के केहो आईख दान काईर देलायं, ओखन ऊ छोड़ी आराम से देईख सकत रहे। ओहे ले छोड़ा  ढेईर खूश होलक। आईख मिलेक केर कुछ दिन बादे ऊ छोड़ी ऊ छोड़ा से मिलेक गेलक । और ऊ देखलाक कि छोड़ा भी ऑंधा आहे।

छोड़ा गो कहलक कि एखन तो देईख सकीस ला, ओहे ले जी भाईर के देईख ले और एखन हमे शादी काईर सकीला ?
छोड़ी बिना कोनो सोईच समाईझ के झट से माना काईर देलक और कहलक नहीं मोय एक ठु आँधा से काईसेन शादी काईर सकोन ?


छोड़ा उकर बात सुईन के मुस्कुरालक और छोड़ी केर हात में एक ठु लेटर देई के हुवाॅं से भाईग गेलक।

ऊ लेटर में लिखल रहे :-  तोय जहाँ भी रहबे हमेशा खुश रहबे और मोर आईख केर ख्याल रखबे।

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